रविवार का व्रत उपवास की पूजन विधि और इसके नियम Sunday fast method and benefits

रविवार (इतवार) व्रत विधि-विधान एवं उद्यापन विधि How to do Sunday (Shuryadev) Vrat

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रविवार व्रत विधान Sunday Fast Vidhan

रविवार का व्रत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष से प्रारम्भ किया जा सकता है. शुक्ल पक्ष में जिस दिन पहला रविवार पड़े, उसी दिन से व्रत आरम्भ करना चाहिए. व्रत के दिन जातक को एक समय भोजन करना चाहिए तथा सूर्यास्त होने से पूर्व, सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए. पूजा के लिए कंडेल (कनइल) का फूल, लाल चंदन, लाल वस्त्र, गुलाल और गुड़ आदि वस्तुएँ होनी चाहिए. इस व्रत को एक व्रत या पांच वर्षो तक करना शुभ माना जाता है.

रविवार व्रत विधि Ravivar Vrat Vidhi

मन की साडी इच्छओं की पूर्ति के लिए रविवार का व्रत बहुत ही फलदायक होता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को समस्त कष्टो से छुटकारा मिल जाता है तथा घर में सुख-सम्रद्धि बनी रहती है.

  • इस व्रत के दिन सुबह उठकर नित्य क्रिया, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद सुर्य भगवान को जल चढ़ायें और रविवार की कथा सुने या सुनायें
  • पूरे दिन व्रत रखें, सुर्य अस्त होने के पहले हीं भोजन तथा फलाहार कर लें।
  • पूजा समाप्ति के बाद रात को भगवान सूर्य को याद करते हुए तेल रहित (बिना नमक के ) भोजन करना चाहिए।
  • निराहार रहने पर अगले दिन सुर्य को जल देने के बाद हीं भोजन करें।
  • एक वर्ष या पांच वर्ष तक इसी प्रकार रविवार व्रत करने के बाद इस का उद्यापन करना चाहिए।

रविवार व्रत के लाभ Sunday Fast Benefits

रविवार का व्रत करने से जातक के सभी कष्टो का नाश होता है तथा इससे मनुष्य को धन, यश, मान-सम्मान तथा आरोग्य प्राप्त होता है. इस व्रत को नियमित उचित प्रकार से करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती तथा घर में सुख-शांति बनी रहती है.

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