वास्तुअनुसार दिशाओं का महत्व Importance of direction
दिशाओं के सही-सही ज्ञान को ही वास्तु कहते हैं. वास्तु शास्त्र एक ऐसी पद्धति का नाम है जिसमें दिशाओं को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है दिशाओं को ध्यान में रखकर ही भवन निर्माण व उसका इंटीरियर डेकोरेशन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यदि हम वास्तु के अनुसार अपने भवन का निर्माण करते है तो इससे घर परिवार में खुशहाली आती है. वास्तुशास्त्र में दिशाओं का बहुत अधिक महत्व बताया गया हैं. दिशाए पञ्च तत्त्व से मिलकर बनी होती है.
विभिन्न दिशाए और उन दिशाओं का महत्व Different direction and its important
वास्तुशास्त्र में दिशाओं का बहुत अधिक महत्व बताया गया है ये हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण दिशाए होती है.इन दिशाओं का हमारे जीवन में बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है.
पूर्व दिशा East direction
पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा माना गया है. पूर्व दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर की ओर प्रवेश करती हैं. घर के खिड़की दरवाजे यदि पूर्व दिशा में हो तो इससे गृहस्वामी की उम्र लंबी होती है संतान सुख के लिए घर के प्रवेश द्वार व खिड़की पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है. पढ़ने वाले बच्चों को भी इसी दिशा की ओर मुख करके पढ़ाई करनी चाहिए. पूर्व दिशा में पूजाघर और बेडरूम बनाना भी शुभ माना गया है.
पश्चिम दिशा West direction
पश्चिम दिशा की भूमि का तुलनात्मक रूप से ऊँचा होना अच्छा माना गया है यह आपको सफलता व कीर्ति दिलाने में बहुत मदद करता है. आपके घर का टॉयलेट, बाथरूम,बेडरूम पश्चिम दिशा में होना चाहिए.
उत्तर दिशा North direction
उत्तर दिशा में घर के खिड़की और दरवाजे होना शुभ बताया गया है. आपके घर का वॉश बेसिन और बालकनी भी इसी दिशा में होना चाहिए. उत्तर दिशा की ओर की भूमि ऊँची होना शुभ माना गया है. उत्तर दिशा में पूजाघर, लिविंग रूम, बच्चों के कमरे बनाना शुभ माना गया है. उत्तर दिशा में स्टोररूम नहीं बनाना चाहिए और कोई भी भारी चीज इस दिशा में नहीं रखनी चाहिए.
दक्षिण दिशा South direction
आपके घर की दक्षिण दिशा की भूमि भी ऊँची होनी चाहिए. दक्षिण दिशा की भूमि पर भार रखने से गृहस्वामी सुखी, समृद्ध व निरोगी होता है दक्षिण दिशा में खुलापन या शौचालय आदि नहीं होना चाहिए. दक्षिण दिशा में मास्टर बेडरूम,स्टोर रूम और तिजोरी बनाना अच्छा माना गया है.
उत्तर-पूर्व दिशा North-east direction
उत्तर-पूर्व दिशा को हम ‘ईशान दिशा’ के नाम से भी जानते है यह दिशा ‘जल’ की दिशा होती है. मकान का निर्माण करते समय इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि बनाना चाहिए यह शुभ फल देने वाला होता है. घर का मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व दिशा में होना वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है. उत्तर पूर्व दिशा में पूजा घर और मैडिटेशन होना शुभ फलदायक माना गया है.
उत्तर-पश्चिम दिशा North-west direction
उत्तर-पश्चिम दिशा को ‘वायव्य दिशा’ भी कहा जाता है. घर के नौकर का कमरा भी इसी दिशा में होना चाहिए. इस दिशा में आप अपना बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि भी बना सकते है यह भी वास्तु अनुसार अच्छा होता है.
दक्षिण-पूर्व दिशा South-east direction
दक्षिण-पूर्व दिशा को ‘अग्नि’ की दिशा माना जाता है इसे आग्नेय दिशा भी कहते हैं. दक्षिण-पूर्व दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि रखने चाहिए. दक्षिण पूर्व दिशा में किचन बनाना भी शुभ होता है.
दक्षिण-पश्चिम दिशा South-west direction
दक्षिण-पश्चिम दिशा को ‘नैऋत्य दिशा’ के नाम से भी जाना जाता है. वास्तु अनुसार ‘नैऋत्य दिशा’ में दिशा में खिड़की, दरवाजे बिल्कुल भी नहीं बनाने चाहिए. घर के गृहस्वामी का कमरा इस दिशा में होना शुभ होता है. कैश काउंटर और मशीनें इस दिशा में होना शुभ होता है.
दिशाओं के विषय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य Some important facts about directions
- उत्तर दिशा से चुम्बकीय तरंगों घर में प्रवेश करती है.
- चुम्बकीय तरंगे हमारे शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त संचार एवं स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है.
- उत्तर-पूर्व दिशा में देवताओं का निवास होता है उत्तर दिशा और पूर्व दिशा दोनों इसी स्थान पर मिलती हैं.
- पूर्व दिशा ऐश्वर्य प्रदान करने वाली होती है. भवन का निर्माण करते समय इस दिशा की ओर का स्थान खुला रखना चाहिए.
- उत्तर-पश्चिम दिशा वायु का स्थान मानी गयी है इस दिशा में रसोई घर बनाना चाहिए.
- पश्चिम दिशा में टायलेट बनाना शुभ होता है पश्चिम दिशा सौर ऊर्जा की विपरित दिशा हैं हो सके तो इस स्थान को बंद रखना चाहिए.
- दक्षिण-पश्चिम दिशा में घर के मुखिया का कमर होना चाहिए.
- सीढ़ियों का निर्माण भी दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए. इस दिशा में किसी भी प्रकार का गड्ढा, शौचालय अथवा नलकूप नहीं बनाना चाहिए.