भाई दूज का महत्व, कथा और पूजन विधि की कथा How to the importance of Bhai Duj

कैसे मनाये भाई दूज इसका महत्तव और पूजन विधि How to celebrate Bhai dooj

भाई दूज का त्योहार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. इस त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. यह त्यौहार दीपावली के दुसरे दिन मनाया जाता है इस दिन देवता यमराज की पूजा की जाती है. भाई दूज का त्योहार भाई के प्रति बहन के स्नेह का प्रतीक माना जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की खुशहाली की कामना करती है.

                            कहा जाता है की कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमी (यमुना) अपने  भाई यम से मिलने के लिए व्याकुल थी तो इस दिन यम देव ने अपनी बहन यमी को दर्शन दिए थे तथा अपनी बहन को यह वरदान दिया कि इस दिन जो भाई बहन यमुना नदी में स्नान करेंगें उन्हें सुखो की प्राप्ति होगी. इसलिए इस दिन भाई दूज का त्योहार मनाने की प्रथा है.

भाई दूज त्योहार तिथि – 1 नवम्बर 2016

भाई दूज टीका मुहूर्त – 01:00 से 03:11 बजे तक

भाई दूज की पूजन विधि Bhai Duj worship method

भाई दूज हर स्थान पर अलग-अलग तरह से मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के स्नेह प्रेम का प्रतीक होता है. इस त्योहार को कई विधियों से मनाया जाता है. 

भाई दूज की पूजन विधि 1.

  • भाई दूज के दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव का पूजन करती है.
  • इसके बाद चावल के आटे से चौक तैयार करती हैं. इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है और भाइयो के हाथों की पूजा की जाती है.
  • इसके बाद बहने अपने भाई के हाथों में चावल का घोल लगाती है. इसके बाद उसके ऊपर सिन्दूर लगाते हैं तथा कद्दु के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रख कर धीरे धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हैं और मन्त्र का उच्चारण किया जाता है.

गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े

भाई दूज की पूजन विधि 2.

  • भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं .
  • इसके बाद बहने अपने भाइयों के हाथों में कलावा बांधती हैं.
  • इसके बाद भाई का मुह मीठा करने के लिए मीठा खिलाया जाता है.
  • संध्या कल के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रख देती हैं.
  • यह भी मान्यता है की इस दिन यदि आसमान में उड़ती हुई चील देखने में यदि बहनें भाईयों की आयु के लिये जो दुआ मांगती है, वह दूआ पूरी होती है

भाई दूज की कथा Story of Bhaiya Dooj

यमराज भगवान सूर्य नारायण और छाया के पुत्र थे. इनकी एक बहन थी जिनका नाम यमी (यमुना) था. यमी को अपने भाई के प्रति बहुत ही स्नेह था. जब यमी का विवाह हो चूका था तो यमी से अपने भाई यमराज से अपने घर आकर भोजन करने का निवेदन किया. यमराज अपने कार्य में बहुत ही व्यस्त थे जिसके कारण वे यमी के निवेदन पर उनके घर ना जा सके.

                                जब कार्तिक शुक्ला का दिन आया तब यमी ने यमराज को फिर से भोजन के लिए निमंत्रण दिया और उन्हें वचनबद्ध कर लिया. यमराज अपनी बहन की सद्भावना देख अपनी बहन  के घर भोजन करने गए. यमी अपने भाई यमराज को अपने घर में देखकर बहुत ही प्रशन्न हो गयी. अपनी बहन यमी का आतिथ्य देख यमराज बहुत ही प्रशन्न हुए और अपने बहन से वर मांगने को बोला. तब यमी ने कहा की भाई आप हर वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन मेरे घर पर आया करें.

                             मेरी तरह इस दिन जो भी बहन अपने आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे. यमराज ने अपनी बहन से तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण भेट को रूप में दिए और यमराज यमलोक की तरफ चले गए. इसी दिन से भाई दूज का त्योहार देशभर में बड़ी-धूम धाम के साथ मनाया जाता है और इस दिन यमराज तथा यमुना का पूजन भी किया जाता है. 

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