जाने कौन सी आरती करे दीपावली में Diwali Aarti in hindi
हिन्दू मान्यताओ के अनुसार दिवाली का त्यौहार बहुत ही प्रमुख होता है. यह त्योहार घर में सुख-सम्रद्धि लेकर आता है. दीपावली का दिन प्रकाश का दिन होता है. इस दिन चारो तरफ प्रकाश फैला हुआ होता है. कहा जाता भगवान राम जी 14 वर्ष वनवास के बाद अपने घर लौटे थे. इसलिए अयोध्या में घी के दीपक जलाये गए थे. तब से ही इस त्यौहार का चलन हुआ था. यह त्योहार सच्चाई और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है.
जाने कैसे करें दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन
गणेश जी की आरती
भगवान गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
(माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी)
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा,
(हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा),
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अँन्धे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
(दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी )
(कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी)॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
लक्ष्मी माता की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता,
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता,
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता,
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद् गुण आता,
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता,
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता,
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता,
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…
सरस्वती माता की आरती
जय सरस्वती माता , मैया जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
मैया जय…….
चंद्रवदनि पदमासिनी, घुति मंगलकारी
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
मैया जय………
बायेँ कर में वीणा, दायें कर में माला
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला॥
मैया जय………
देवी शरण जो आयें, उनका उद्धार किया
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
मैया जय………
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, न ज्ञान प्रकाश भरो
मोह और अज्ञान तिमिर का जग से नाश करो॥
मैया जय………
धुप, दिप फल मेवा माँ स्वीकार करो
ज्ञानचक्षु दे माता, भव से उद्धार करो॥
मैया जय………
माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई नर गावें
हितकारी, सुखकारी ग्यान भक्ती पावें ॥
मैया जय………
सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।।