विटामिन डी को प्राप्त करने के स्रोत, फायदे तथा कमी से होने वाले रोग
आजकल अनेक लोगों में विटामिन डी की कमी पायी जाती है. इसका कारण हमरी अनियमित जीवशैली होती है. विटामिन D वसा में घुलनशील विटामिन है. आमतौर पर विटामिन डी पांच प्रकार का होता है. विटामिन-डी 1, विटामिन-डी 2, विटामिन-डी 3, विटामिन-डी 4 और विटामिन-डी 5. विटामिन डी के सभी प्रकार हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत ही सहायक होते हैं.
विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण, प्रतिरक्षा प्रणाली के सही तरीके से काम करने, हड्डियों और कोशिकाओं के सम्पूर्ण विकास और नियंत्रण तथा शरीर के अंगों से सूजन को कम करने संबंधी कडी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विटामिन डी को प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय धुप है. त्वचा पर धुप पड़ने से शरीर से विटामिन डी की कमी समाप्त हो जाती हैं तथा त्वचा में विटामिन डी बनने की प्रक्रिया जो निष्क्रिय होती है.
विटामिन डी के स्रोत
- मक्खन
- दूध
- धूप
- अंडे के पीले भाग
- मछली का तेल
- टमाटर
- हरी सब्जियां
- शलजम
- निम्बू
- चुकुन्दर
- मूली
- मालटा
- पत्ता गोभी
विटामिन डी का उपयोग
विटामिन डी का सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरुरी होता है. विटामिन डी के सेवन से हमारी हड्डिया तथा दांत मजबूत बने रहते हैं साथ ही यह विटामिन कैल्शियम के अवशोषण के साथ ही रक्त में कैल्शियम व फास्फोरस का लेवल भी बनाए रखता है. विटामिन-डी शरीर के विकास, हड्डियों के विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. विटामिन डी एक स्टेरॉइड (खास रासायनिक) विटामिन है, जो आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों में पहुंचाता है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है. विटामिन डी अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत अच्छा होता है तथा इसके सेवन से ह्रदय से सम्बन्धित समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं.
विटामिन डी की कमी के कारण होने वाले रोग
- रिकेट्स या सूखा रोग
- हड्डियों की कमजोरी
- हृदय संबंधी रोग
- ओस्टोपोरेसिस
- मांसपेशियों में कमजोरी
- कैंसर
- मधुमेह
विटामिन डी की अधिक मात्रा लेने से होने वाली समस्याएं
आमतौर पर विटामिन डी का सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी है. विटामिन डी एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है, जो कोशिकाओं और जैव अणुओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है. विटामिन डी के अधिक सेवन से कैल्शियम का स्तर अधिक बढ़ जाता है. अनेक बार हमारे शरीर में अनेक प्रकार किस समस्याएं होने लगती हैं.
- भूख की कमी
- बार-बार पेशाब आना
- कमजोरी होना
- हार्ट अटैक का खतरा